अशोकनगर के शेर ए सुराना: 1947 में जिसने फहराया आजादी का ध्वज, मिला युवा तुर्क का सम्मान

 अशोकनगर के शेर ए सुराना: 1947 में जिसने फहराया आजादी का ध्वज, मिला युवा तुर्क का सम्मान

अशोकनगर,24 अक्टूबर(हि.स.)। अशोकनगर में वर्तमान में जो यहां की तस्वीर नजर आती है यहां यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि यहां यह सब 5 दशक पूर्व की तस्वीर दिखाई देती है। यहां विकास के कथित वायदों के बीच इन 5 दशकों के बाद न यहां कि तस्वीर बदली और न यहां की तकदीर और तस्वीर बदलने वाला शेर ए सुराना जैसा कोई विधायक हुआ।

विलक्षण राजनैतिक प्रतिभा के धनी रहे अशोकनगर के भूतपूर्व विधायक, भूतपूर्व नगरपालिका अध्यक्ष एवं भूतपूर्व कृषि मंडी अध्यक्ष स्व.मुल्तानमल सुराना की 97 वीं जयंती उनके उल्लेखनीय कार्यों को याद कर मनाई गई। जिन्हें शेर ए सुराना के नाम से जाना जाता है मुल्तानमल सुराना का जन्म 24 अक्टूबर 1924 में हुआ तथा 24 मई 1992 में वे इस दुनिया से विदा हुए। इस बीच 1960 से 1975 का समय अशोकनगर के विकास के लिए स्वर्णिम काल रहा।

जो दिखता है वह स्व.सुराना की देन

वर्तमान में अशोकनगर भले ही आज जिले के पायदान पर खड़ा है। और यहां राजनेतिकों द्वारा कथित विकास के बवंडर खड़े किए जाते रहे हों, पर धरातल शून्य नजर आता है। यहां जो कुछ भी आज दिखाई देता है वह 5 दशक पूर्व के मुल्तानमल सुराना द्वारा किए गए कार्यों के कारण ही दिखाई देता है।

शहर का हृदय स्थल गांधी पार्क चौराहे पर खड़ी गांधी की प्रतिमा हो अथवा शिक्षा के क्षेत्र में शहर का पॉलिटेक्निक कालेज हो अथवा डिग्री कालेज। कृषि क्षेत्र में कृषि मण्डी के अलावा तुलसी सरोवर तालाब का निर्माण हो अथवा नेहरू बाल उद्यान का निर्माण और शहर में घर-घर में पहुंचने वाले पानी के लिए जलप्रदाय योजना जैसे बढ़ी उपलब्धियां हों, यह सब 5 दशक पूर्व शेर ए सुराना के योगदान के बिना स्थापित नहीं हो सके।

कड़े संघर्षों के बाद आज ये नगर भले ही जिला मुख्यालय के रूप में तब्दील हो गया हो, पर कथित विकास की बातों के बीच यहां शिक्षा के क्षेत्र में न तो कोई नया कालेज स्थापित हो सका न जिला मुख्यालय पर होने वाला कोई केन्द्रीय विद्यालय, फिर अन्य विकास की बातें तो दूर की बातें हैं। यहां देखने को मिला तो कथित विकास की बातों का फर्जीबाड़ा।

विलक्षण राजनैतिक प्रतिभा के धनी शेर ए सुराना

स्व.मुल्तान मल सुराना को कोई ऐसे ही शेर ए सुराना के नाम से पहचान नहीं मिली। एक नाटे कद के विलक्षण प्रतिभा के राजनैतिक व्यक्ति थे स्व.सुराना। चाहे कोई कितना ही बड़ा व्यक्ति हो अथवा एक ठेला चालक उनका व्यवहार सभी के लिए एक जैसा ही था। किसी भी जनहित के काम के लिए उनकी एक आवाज में प्रत्येक वर्ग के लोग हजारों की तादाद में एकत्रित हो जाया करते थे इस तरह उन्होंने एक सच्चे जनप्रतिनिधि होने की पहचान स्थापित की थी।

वास्तव में एक सच्चे जनप्रतिनिधि की उनकी लोकप्रियता इतनी की लोग अपने घरेलू समस्यायें अथवा आपसी झगड़ों के समाधान के लिए पुलिस और न्यायालय की अपेक्षा उनके पास जाना पसंद करते थे।

स्व.सुराना पर लोगों का एक सच्चे जनप्रतिनिधि होने का इतना विश्वास था कि वे लोगों की घरेलू और आपसी समस्याओं का निराकरण बैठकर किया करते थे, जिससे लोगों का पुलिस और न्यायालय के चक्कर काटने से समय भी बचता था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से रही नजदीकी

स्व.सुराना क्षेत्र में ही कांग्रेस के लोकप्रिय नेता नहीं थे, बल्कि देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भी उनकी निकटता का लाभ भी वे क्षेत्र के विकास के लिए लेते रहे।

उनके द्वारा 1975 में यहां मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रांतीय अधिवेशन शहर के पॉलिटेक्निक कालेज में कराया गया। जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आमंत्रित थीं, पर उनका अचानक कार्यक्रम निरस्त हो गया था। अधिवेशन में देश के तत्कालीन ग्रह मंत्री पीवी नरसिम्हाराव, तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद सेठी आदि तत्कालीन केन्द्रीय और प्रदेश सरकार के मंत्रियों का यहां आगमन हुआ था।

1947 में फहराया आजादी का ध्वज, मिला युवा तुर्क का सम्मान

1947 में देश की आजादी के अवसर पर शेर ए मुल्तान मल सुराना ने 23 वर्ष की उम्र में अपने युवा साथियों के साथ शहर के सुभाष गंज में आजादी का ध्वज फहराते हुए आजादी का जश्र मनाया गया था। उस समय उन्हें युवा तुर्क के सम्मान से नवाजा गया था।

स्व. सुराना की जो एक विशेष खासियत रही कि वे वर्तमान नेताओं की तरह अपने बढ़े नेताओं की जाने वाली चाटुकारिता और चापलूसी करने की राजनीति से सदैव दूर रहे। उनके द्वारा क्षेत्र के विकास के लिए चापलूसी नहीं बल्कि दबाव की राजनीति कर विकास के उल्लेखनीय सोपान इस क्षेत्र को दिए। यह नगर उनके उल्लेखनीय योगदान को कभी भुला नहीं पायेगा।

प्रेरणा लें वर्तमान राजनेता उनसे।